लोक कलाकारों की दशा एवं दिशा

लोक शब्द वैदिक काल से दिव्य तथा पार्थिव दो रूपों में प्रयुक्त हुआ है दिव्य रूप में वह आध्यात्मिक शक्तियों से सुसमृद्ध, सृजनकर्ता आनन्ददायक तथा पार्थिव रूप में ’जन’ के…

Continue Readingलोक कलाकारों की दशा एवं दिशा

कला क्षेत्र में ’नारी’ प्राची से प्रतीची

कलाओं में मंच कला अर्थात् संगीत और संगीत क्षेत्र में नारी का जुड़ाव वैदिक काल से ही प्राप्त होता है स्त्रियाँ कलाओं में अभिव्यक्ति का साधन भी रहीं है और…

Continue Readingकला क्षेत्र में ’नारी’ प्राची से प्रतीची

पंडित शिवकुमार शर्मा जी

वर्ष 2006 में शिव कुमार शर्मा से मेरा पहला परिचय हुआ जब वो स्पिक मैके प्रयागराज के बुलावे पर प्रयाग आये 27 दिसंबर की कड़कती रात में भी सरस्वती घाट…

Continue Readingपंडित शिवकुमार शर्मा जी

संगीत का यौगिक स्वरूप

पतंजली के शब्दों में अटूट प्रेम द्वारा ईश्वर की प्राप्ति योग का लक्ष्य हैं, स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है- ‘योगोयुक्त तमो मतः‘ अर्थात् मुझसे लीन हो जाना ही…

Continue Readingसंगीत का यौगिक स्वरूप

संगीत चिकित्सा

सितम्बर २०२० में बीमारी के दौरान अस्पताल में मेरे बच्चों द्वारा दवा के साथ ही जल्दी स्वस्थ होने मे योगदान संगीत चिकित्सा देना रहा है … मेरा बेटा जब मेरे…

Continue Readingसंगीत चिकित्सा
Read more about the article याद-ए-पतंग
याद ए पतंग

याद-ए-पतंग

ये रंग बिरंगी मोहती पतंगे ,आकाश मे उन्मुक्त सी उड़ती पतंगे मात्र एक खिलौना नहीं ये तो मन को उमंग उत्साह को बढ़ाने वाली , कल्पनाओं को पंख देने वाली…

Continue Readingयाद-ए-पतंग

संगीत में परंपरा एवं प्रयोग

वैदिक काल में ऋषियों की वाणी से जन्मा संगीत यज्ञ शालाओं, मंदिरों में ईश्वर प्राप्ति का साधन बना। मध्यकाल तक आते-आते इसने राजाश्रय प्राप्त कर दरबार की पहचान बना। ‘कलाकार…

Continue Readingसंगीत में परंपरा एवं प्रयोग

श्री कृष्ण जन्माष्टमी

बचपन की यादें सचमुच अनमोल होती हैं कोई भी त्यौहार हो अपने बचपन में लौट जाती हूँ ………………… जन्माष्टमी हमारे यहाँ बडे धूमधाम से मनाते थे पन्द्रह दिन पहले से…

Continue Readingश्री कृष्ण जन्माष्टमी

लोकगीत

लोकगीत सामाजिक व्यवस्थाओं पर कटाक्ष किस प्रकार करते हैं ये एक सोहर गीत में हिरण कथा के माध्यम से व्यक्त किया गया है …सोहरों में हैं। राम के जन्मदिन रामनवमी…

Continue Readingलोकगीत

कोरोना काल में कलाकारों की स्थिति

आमूर्त कला चिन्तन परम्परा में संगीत सर्वोपरी स्थान रखता है, अध्यात्म, दर्शन से अनुप्राणित संगीत कला भारत की विश्वगुरू रूप में स्थापित करती है वह वैदिक संगीत हो, श्लिष्ट संगीत…

Continue Readingकोरोना काल में कलाकारों की स्थिति