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ध्रुपद समारोह - परंपरा एवं नवाचार

ब्रजमोहन व्यास सभागार, इलाहाबाद संग्रहालय

17-19 मार्च 2025

इलाहाबाद संग्रहालय में 18 व 19 मार्च 2025 को संग्रहालय, उ. प्र. संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ व व्यंजना आर्ट एवं कल्चरल सोसाइटी, प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय ध्रुपद समरोह: परंपरा एवं नवाचार का शुभारंभ हुआ। दीप प्रज्जवलन से कार्यक्रम आरंभ हुआ स्वागत वक्तव्य में डॉ मधु रानी शुक्ला ने मुख्य अतिथि प्रो. पं. साहित्य कुमार नाहर, पूर्व कुलपति, मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर। द्रुपद विधा के बडे नाम पद्मश्री उस्ताद वासिफुद्दीन डागर सहित सभी सुधी नागरिकों का स्वागत करते हुए इस आयोजन के हेतु और उद्देश्य से अवगत कराया। स्वागत व सम्मान के पश्चात ध्रुपद की प्रथम प्रस्तुति उस्ताद वासिफुद्दीन डागर की शिष्या सुश्री अपराजिता ने दिया पखावज पर उनके साथ संगत किया पं.शशिकांत पाठक ने की ।इस युगल संगत में श्रोता घण्टों सुर,लय,ताल पर गोता लगाते रहे और अन्तत: सब ने खडे होकर करतल ध्वनि से साधना को सलाम किया। अगली प्रस्तुति आज के मुख्य आकर्षण पद्यश्री डागर साहब की रही, उल्लेखनीय है कि उस्ताद वासिफुद्दीन डागर साहब डागर घराने की 20वीं पीढी से हैं जो अनवरत भारतीय शास्त्रीय संगीत के ध्रुपद विधा की सेवा साधना में संलग्न हैं। श्री डागर ने लगभग सवा घंटे की प्रस्तुति में ध्रुपद विधा में राग शुद्ध सारंग के साथ तमाम रागों की यात्रा करवाई उनके साथ सितार पर सुश्री अपराजिता व सुश्री अभिलाषा भारद्वाज ने संगत किया। अंतिम प्रस्तुति श्री विजय रामदास, अयोध्या की रही । उनके शिष्य श्री वैभव रामदास व सुश्री कौशिकी झा ने संगत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ धनन्जय चोपणा व धन्यवाद ज्ञापन डॉ राजेश मिश्र ने किया। इस अवसर पर श्री अभिलाष नारायण, ए. पी. तिवारी, श्री शैलेन्द्र कपिल, डॉ उर्मिला शर्मा, श्री विशाल ढींगरा, श्री विवेक विशाल श्री विनोद मिश्र, प्रियांशू सहित बढी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिक व संगीत प्रेमी व साधक उपस्थित रहे।दूसरे दिन श्री अभिजीत सुखदाणे, ग्वालियर एवं श्री अभय रुस्तम सोपोरी की प्रस्तुतियों से गुंजायमान रहा। आज आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में श्री शशि प्रकाश सिंह, भारत के अतिरिक्त सालिसिटर जनरल तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो.स्वतंत्र बाला शर्मा, पूर्व कुलपति राजा मान सिंह तोमर विश्वविद्यालय, ग्वालियर उपस्थित रहीं। कला साधकों के स्वागत सम्मान से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ प्रथम प्रस्तुति में श्री अभिजीत सुखदाणे ने राग मुल्तानी में रचित बंदिश सुनाई, उनके साथ तानपूरे पर तानिषी सुखदाणे व योगिनी तांबे ने संगत किया। अगली प्रस्तुति में श्री अभय रुस्तम सोपोरी ने संतूर पर राग धानी के साथ ध्रुपद की लहरियाँ बिखेरी उनके साथ डॉ.अंकित पारिख ने पखावज पर और उनके शिष्य श्री दिव्यांस श्रीवास्तव ने संतूर पर संगत किया। मुख्य अतिथि श्री सिंह ने सुंदर आयोजन हेतु तीनों संस्थाओं को बधाई देते हुए कहा कि “भारतीय कला व संस्कृति व धर्म के वृहद समागम को अभी हाल में महाकुम्भ के रूप में विश्व ने देखा व सराहा है और भारतीय शास्त्रीय विधा के ध्रुपद गायन को इलाहाबाद संग्रहालय, संगीत नाटक अकादमी व व्यन्जना आर्ट एवं कल्चर सोसाइटी एक समरोह रूप में मना रहा यह स्वागत योग्य तथा सराहनीय है।” कार्यक्रम का संचालन श्री प्रियांशू श्रीवास्तव एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ मधु शुक्ला ने किया। इस अवसर पर प्रो.जयंत खोत, श्री शैलेन्द्र कपिल, सुश्री सुषमा शर्मा, श्री ए. पी. तिवारी, श्री अरिंदम घोष, श्री विनोद मिश्र सहित बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य व कलाप्रेमी उपस्थित रहे।

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