संगीत में परंपरा एवं प्रयोग
वैदिक काल में ऋषियों की वाणी से जन्मा संगीत यज्ञ शालाओं, मंदिरों में ईश्वर प्राप्ति का साधन बना। मध्यकाल तक आते-आते इसने राजाश्रय प्राप्त कर दरबार की पहचान बना। ‘कलाकार…
वैदिक काल में ऋषियों की वाणी से जन्मा संगीत यज्ञ शालाओं, मंदिरों में ईश्वर प्राप्ति का साधन बना। मध्यकाल तक आते-आते इसने राजाश्रय प्राप्त कर दरबार की पहचान बना। ‘कलाकार…
बचपन की यादें सचमुच अनमोल होती हैं कोई भी त्यौहार हो अपने बचपन में लौट जाती हूँ ………………… जन्माष्टमी हमारे यहाँ बडे धूमधाम से मनाते थे पन्द्रह दिन पहले से…
लोकगीत सामाजिक व्यवस्थाओं पर कटाक्ष किस प्रकार करते हैं ये एक सोहर गीत में हिरण कथा के माध्यम से व्यक्त किया गया है …सोहरों में हैं। राम के जन्मदिन रामनवमी…
आमूर्त कला चिन्तन परम्परा में संगीत सर्वोपरी स्थान रखता है, अध्यात्म, दर्शन से अनुप्राणित संगीत कला भारत की विश्वगुरू रूप में स्थापित करती है वह वैदिक संगीत हो, श्लिष्ट संगीत…
अमूर्त रूप संगीत व्यापक रूप से शब्द ब्रह्म एवं नाद ब्रह्म की अनुभूति व अभिव्यक्रि की विधा है ईश्वरीय सुन्दरम् सृष्टि की मधुरतम् अभिव्यक्रि संगीत है नाद भौतिकीय व्याख्या से…
लोक गीत कब आया जीवन में इसे बताना शब्दों में समाना तो नामुमकिन पर शायद जब से आँख खुली लोक को ही सुना , जाना , जिया ….. सीखा नहीं…