सितम्बर २०२० में बीमारी के दौरान अस्पताल में मेरे बच्चों द्वारा दवा के साथ ही जल्दी स्वस्थ होने मे योगदान संगीत चिकित्सा देना रहा है … मेरा बेटा जब मेरे पास आता तो कानों मे ईयर फ़ोन पर पं विश्व मोहन भट्ट जी को सुनाता कभी बिटिया कानों में पूछती क्या सुनोगी …पूर्ण रूप से मानसिक रूप से स्थिर न होते हुए भी मैं पूछती समय क्या है (क्योंकि भारतीय परंपरा मे समयानुकूल रागों का गायन वादन होता है )बेटी बोलती सुबह के पौने चार बजे हैं फिर राग ललित से शुरू करके रात में राग बागेश्री तक सारे दिन के मधुर रागों को सुनाती …. पं कुमार गंधर्व, विदुषी किशोरी अमोनकर, पं व्यंकटेश कुमार , उ राशिद खां , विदुषी गिरिजा देवी , पं भजन सोपोरी , विदुषी अश्विनी भिड़े ,पं राजन साजन मिश्र ,पं रवि शंकर ,उ ब्सम्मिलाह खां निखिल बनर्जी ,उ शाहिद परवेज़ ,पं जसराज जीजैसे कितने ही कलाकार …. जब ठीक होने लगी तो एम एस सुबुलक्ष्मी जी के स्तोत्रों व भजनों को सुनती … अनेक लोक भजन व देवी गीत मन को पुष्टता प्रदान करने लगे अभी पन्द्रह अप्रैल के बाद पुन: अस्वस्थ हुई होम आईसोलेशन में भी मैने पुन: दवाओं के साथ ही संगीत चिकित्सा का पूरा सहारा लिया अब तो एप्प डाऊनलोड कर लिया था जहाँ समयानुकूल राग प्रसारित होते साथ ही भजन ,गीत ,ग़ज़ल लोक संगीत यूट्यूब पर सुनती ये संगीत सकारात्मक प्रवृत्ति लाते हैं अनेक दुखद घटनाओं ने जब अनवरत झकझोरा है और घाव लगते ही जा रहे तो सच कहूँ संगीत ने ही संभाला है ..और उस वक्त यदि मैं अपने आपको मजबूत करके ये सुन कर भूलूँ ना तो मैं भी शायद निराशा व अवसाद के समुद्र में डूब रही होती। आप हताश नहीं हों, आप निराश ना हों मज़बूत बनें …..संगीत चिकित्सा पर तो इतने शोध पत्र लिखे थे पर प्रायोगिक रूप से अब अपने ऊपर अनुभव किया वो अनुमान मात्र था और ये हक़ीक़त ….सत्य अनुभव करके अभिभूत हूँ ।
संगीत चिकित्सा
- Post author:Dr. Madhu Rani Shukla
- Post published:June 8, 2021
- Post category:Music Therapy
Tags: music therapy